Islamic Women Rights: मुस्लिम महिलाओं को लेकर अक्सर यह सवाल उठता है – क्या उन्हें गैर-मुस्लिम पुरुष से शादी की इजाजत है? दुनियाभर के कई इस्लामिक देशों में यह प्रतिबंध आज भी लागू है, लेकिन एक छोटा-सा उत्तर अफ्रीकी देश ट्यूनीशिया इस परंपरा को तोड़ चुका है।
Islamic Women Rights: ट्यूनीशिया ने रचा इतिहास
साल 2017 में ट्यूनीशिया की सरकार ने एक ऐतिहासिक फैसला लेते हुए 44 साल पुराने उस कानून को हटा दिया, जो मुस्लिम महिलाओं को गैर-मुस्लिम पुरुषों से शादी करने से रोकता था। इससे पहले अगर कोई गैर-मुस्लिम लड़का मुस्लिम लड़की से शादी करना चाहता, तो उसे जबरन इस्लाम धर्म अपनाना पड़ता था। लेकिन अब ऐसा नहीं है।
अब क्या बदला?
14 सितंबर 2017 को ट्यूनीशियाई राष्ट्रपति बेजी कैद एस्सेबी ने इस कानून को समाप्त करने का आदेश जारी किया। ट्यूनीशियाई न्याय मंत्रालय ने इसकी पुष्टि की और कहा कि अब देश की मुस्लिम महिलाएं किसी भी धर्म के व्यक्ति से शादी कर सकती हैं, बिना धर्म परिवर्तन की शर्त के।
Islamic Women Rights: क्यों है ये फैसला खास?
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यह कानून महिलाओं को समान अधिकार और धार्मिक स्वतंत्रता देने की दिशा में एक बड़ा कदम माना गया।
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यह फैसला ट्यूनीशिया के संविधान और महिलाओं की स्वतंत्रता के अधिकारों को और मजबूत करता है।
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ट्यूनीशिया पहला ऐसा इस्लामी देश बन गया जिसने मुस्लिम महिलाओं को कानूनी तौर पर अंतरधार्मिक विवाह की छूट दी।
क्या भारत या अन्य इस्लामी देशों में ऐसा संभव है?
भारत में इंटरफेथ मैरिज के लिए विशेष विवाह अधिनियम मौजूद है, लेकिन सामाजिक और धार्मिक दबाव अब भी बना रहता है। वहीं, ज्यादातर खाड़ी देशों जैसे सऊदी अरब, ईरान, पाकिस्तान आदि में यह आज भी प्रतिबंधित है।
निष्कर्ष: Islamic Women Rights
ट्यूनीशिया का ये साहसी फैसला केवल एक कानून में बदलाव नहीं है, बल्कि यह महिलाओं को उनकी पसंद का जीवन जीने का मौलिक अधिकार देने की दिशा में क्रांतिकारी कदम है। यह कदम दिखाता है कि इस्लामी समाजों में भी सुधार संभव है – बस जरूरत है सोच बदलने की।
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