रियल डेटा क्या कहता है?
ISWAI (International Spirits & Wines Association of India) की रिपोर्ट के अनुसार, UP में premium/IMFL की मांग में 32% CAGR से वृद्धि हुई है—मध्य प्रदेश में भी यह ट्रेंड दिख रहा है. जबकि देसी शराब (country liquor) अब भी कुल बिक्री में 52–65% हिस्सा रखती है, इसकी वृद्धि दर मात्र 4–7% के बीच है.
Bhopal में खास क्या हो रहा है?
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Bhopal में अप्रैल 2025 के आस-पास हुए नीलामी (auction) के बाद, अधिकांश शराब की दुकानों पर एक ही ग्रुप का नियंत्रण हो गया, जिससे दुकानों में ब्रांड विकल्प और कीमत स्थिर नहीं रह पायी ।
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इस वजह से अंग्रेज़ी शराब की कीमतें jump कर चुकी हैं—कुछ मामलों में यह MRP से भी अधिक दिखाई दे रही है, जबकि देसी शराब का भाव comparably कम रहा, लेकिन विकल्प सीमित होने की वजह से देसी की बिक्री भी पिछड़ने लगी ।
Bhopal: क्यों इतनी तेज़ी से बढ़ रही है IMFL की मांग?
युवा वर्ग और मेट्रो ट्रेंड की प्रवृत्ति: लोग अब imported whisky, gin, rum और vodka जैसे premium स्पिरिट्स की ओर झुक रहे हैं.
अर्थव्यवस्था में सुधार और disposable income बढ़ने का प्रभाव भी साफ दिख रहा है—UP और MP दोनों में premiumisation trend है.
Bhopal: देसी शराब करती दे दस्तक, लेकिन बिक नहीं रही
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देसी दारू की बढ़ी हुई उपलब्धता होने के बावजूद, इसकी सेल growth धीमी है, क्योंकि ग्राहक premium अनुभव और ब्रांड मान्यता की ओर बढ़ रहे हैं ।
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वह सस्ता विकल्प होने के नाते भी अब consumer ने बोझ समझ लिया—वह न तो फ्लेवर्स और ग्लास में दिखने में premium लगती है और न ही सोशल acceptability रखती है।
Bhopal: कई चुनौतियाँ और विवाद
| समस्या | विवरण |
|---|---|
| ब्रांड सीमितता | एक ही ग्रुप द्वारा अधिकांश लाइसेंस मिलने की वजह से दुकानों में विकल्प कम और monopolistic pricing का खतरा बढ़ा हुआ है Business Standard+3bhaskarenglish.in+3deccanherald.com+3। |
| उच्च कीमत | कई shops में अंग्रेज़ी शराब का भाव printed MRP से अधिक है—ग्राहक शिकायत दर्ज कर रहे हैं। |
| राजस्व का प्रभाव | राज्य को मिलता revenue घट सकता है क्योंकि undeclared or illicit liquor trade बढ़ सकता है। |
| स्वास्थ्य जोखिम | देसी शराब में adulteration की संभावना अधिक होती है—यह ख़तरनाक साबित हो सकती है । |
निष्कर्ष:
Bhopal में IMFL यानी अंग्रेज़ी शराब की मांग तेज़ी से बढ़ रही है क्योंकि युवा, middle-class और ग्रामीण आबादी ब्रांडेड अनुभव और premium feel की ओर आकर्षित हो रही है। वहीँ देसी शराब, जोकि सबसे सस्ता विकल्प रही, उसकी growth धीमी और market share सापेक्ष गिर रहा है।
राज्य सरकार, excise विभाग और civil society को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि:
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ब्रांड विकल्प और कीमतें fair हों, ताकि monopoly बंद हो
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ग्राहक को रसीद और contact जानकारी उपलब्ध कराई जाए
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स्वास्थ्य जोखिम और illicit trade को रोकने के लिए monitoring तेज़ हो

